काफी फायदेमंद साबित होगा गाना

सांस से जुड़ी हुई कोई भी बीमारी हो, तो उसके इलाज के लिए सबसे कारगर तरीका है गाना गुनगुनाना. जी हां आपको शायद यह फिजूल लगे, लेकिन रिसर्च में इस बात की पुष्िट की गई है. इसमें पता चला है कि गाना गाने से अस्थमा, ब्रोनचिटिज और एम्फीसिमा जैसी बीमारियों के इलाज में काफी फायदा मिलता है. रिसर्च के मुताबिक, अपने पसंदीदा गाना गाने से सांस की परेशानी में काफी हद तक आराम मिलता है. इसके साथ ही जीवन स्तर भी सुधरता है.

ब्रिटेन में मरीजों पर अपनाया जाता है यह नुस्खा

इंडिया में भले ही अभी इसे खास तवज्जो न मिली हो, लेकिन ब्रिटेन जैसे देश के टॉप हॉस्िपटलों में यह तरीका आजमाया जाने लगा है. रॉयल ब्रॉम्ट्आपकन हॉस्िपटल में कंसल्टेंट रेसपिरेटरी फिजीशियन निकोलस हॉपकिन्स का कहना है कि, यह नुस्खा काफी मददगार साबित हो रहा है. गाने में वही टेकनीक अपनाई जाती है, जो साइकोथेरेपिस्ट लोगों को क्रॉनिक रेसपिरेटरी समस्याओं से निपटने के लिए सिखाए जाते हैं.

सांस लेने का यह तरीका गलत

निकोलस का यह भी कहना है कि, कई लोग पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन लेने के लिए सांस लेने का अपना अलग ही तरीका ईजाद कर लेते हैं. लेकिन अगर इसको सही ढ़ंग से नहीं किया गया, तो यह समस्या को और बढ़ा देता है. ऐसे में कुछ लोग छोटी और उथली सांस लेने लगते हैं जो नुकसानदेह होती है. फिलहाल इससे बचने के लिए गाने की वर्कशॉप मददगार साबित हो सकती है.

कैसे मिलेगी राहत

रिसर्च में यह सिखाया जाता है कि, अपनी पेट की मांसपेशियों को कैसे राहत पहुंचाई जाती है. और सांस लेने के लिए उसी मांसपेशी का इस्तेमाल करते हुए हवा को शरीर के पूरे ऊपरी हिस्से में बहने दिया जाता है. इसके अलावा बाहर निकलने वाली सांस की गति को धीमा करने का तरीका बताया जाता है. इससे शरीर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन अब्जॉर्व करता है. इसमें शामिल हुए मरीजों को यह भी सिखाया जाता है कि गाने का अर्थ पहली ही सांस में सारी ताकत लगा देना नहीं है, बल्िक हवा को सभी स्वर तंत्रों में जाने देना है. इसके साथ ही सही पॉश्चेर भी सही नोट लगाने में मदद करता है.

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