पृथ्वी के गर्भ में मिला समुद्

पृथ्वी के गर्भ में छुपे हुये इस समुद्र पर पहली रिसर्च फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ इडेनबर्ग ने की है। रिसर्च में पता चला की पृथ्वी की सतह से सैकड़ो किलोमीटर अंदर पानी का भंडार है। अभी तक पानी का यह भंडार सभी से छुपा हुआ है। वैज्ञानिकों की माने तो इस पानी का भार पृथ्वी के भार का मात्र 1.5 प्रतिशत है। यह उतना ही है जितना विश्व के सभी समुद्रों को मिलाकर होगा। मैनाक मुखर्जी नाम के रिसर्चर ने बताया कि हमे नही पता कि वहां पर इतनी मात्रा में पानी कैसे स्टोर हुआ। पर यह सैकड़ों वर्षों का नतीजा है। हम ये पता लगाना चाहते हैं कि यह पानी हमारे लिए कितना इफेक्टिव है।

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ऐसे हुई समुद्र की खोज

वैज्ञानिकों को ब्राजील की जुईना नदी के पास एक हीरे की चट्टान भी मिली थी। जिसका निर्माण 90 करोड़ वर्ष पहले एक ज्वालामुखी के फटने से हुआ था। 2008 में कुछ खनिकों ने ब्राजील के माटो ग्रोसो क्षेत्र में एक नदी तेल से खोजा था। यह हीरा ज्वालामुखी की चट्टान के साथ पृथ्वी की सतह के ऊपर आया था। रिसर्चरों ने शोध के लिए यह हीरा खरीद लिया। पियरसन ने बताया कि रिसर्चर तीन मिलीमीटर चौड़े इस हीरे में कोई दूसरा खनिज खोज रहे थे। यह वैज्ञानिकों की खुशकिस्मती थी कि उन्हें अचानक इस नमूने में रिंगवुड़ाइट मिल गया।

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इस तत्व को खोज रहे थे वैज्ञानिक

यह खनिज इतना छोटा होता है कि इसे कोरी आंखों से नहीं देखा जा सकता। हीरे के भीतर रिंगवुड़ाइट को खोजने का श्रेय पियरशन के स्नातक छात्र जॉन मैक्नील को है। उसने 2009 में इस नमूने में रिंगवुड़ाइट की खोज की थी। इस खनिज की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि करने में कई वर्ष लग गए। इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफी और एक्स रे के जरिए उसका विस्तृत विश्लेषण किया गया। अल्बर्टा यूनिवर्सिटी में पियरसन की भू-रसायन प्रयोगशाला में इस खनिज की पानी की मात्र नापी गई। यह प्रयोगशाला केनेडा के विश्व प्रसिद्ध सेंटर फॉर आइसोटोपिक माइक्रोएनिलिसिस का एक हिस्सा है।

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