राष्ट्र में पुणे के रहने वाले 38 साल की सागर सुभाष साठे IBM कंपनी में टेक्निकल मैनेजर के तौर पर काम करते हैं। अपने काम के लिए वह हर महीने लाख रुपए के आसपास सैलरी पाते हैं। इसके बावजूद वह वीकेंड पर अपने गांव जाकर अपने बीवी बच्चों के साथ कई तरह की फसल उगाते हैं। मल्टीनेशनल कंपनी की हाई-फाई जॉब करते हुए भी वह अपने खेतों में काम करने के लिए खासा वक्त निकालते हैं।
पुणे के नजदीक हिंजेवाड़ी के नर्हे गांव में खेती करने के लिए सुभाष शहर से 12 किलोमीटर दूर जाते हैं। साथ में उनकी वाइफ भी होती हैं। खेतों में सिर्फ सुभाष ही काम नहीं करते बल्कि उनकी पत्नी कविता भी इन खेतों में चावल समेत कई फसलें उगाती हैं। सुभाष का कहना है कि खेती करने से सिर्फ उनका तनाव ही कम नहीं होता बल्कि उनके परिवार को इससे काफी खुशी मिलती है। इसके साथ ही साथ अपने खेतों में उगी हुई चीज़ों से उनके परिवार की सालाना आमदनी में करीब 4 लाख रूपये का इजाफा भी होता है।
ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट ग्रेजुएट सुभाष साठे अपने करियर के शुरुआती दौर में अमेरिका के शिकागो और न्यूयॉर्क जैसी जगहों पर भी काम कर चुके हैं। फिलहाल पिछले 14 सालों से सुभाष आईटी इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं, लेकिन अपनी जॉब के अलावा खेतों में काम करके वो खुद को ज्यादा खुश रख पाते हैं।
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साल 2006 में जब सुभाष के पिताजी की मौत हुई, तब उन्हें मजबूरन भारत लौटना पड़ा। यहां आने के बाद मुझे महसूस हुआ कि डेवलपमेंट के नाम पर उनके जैसे तमाम लोगों पर अपनी गांव की जमीन छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन खुद को जमीन से जुड़ा मानने वाले सुभाष अपना गांव और जमीन छोड़ने को राजी नहीं हुए। फाइनली सुभाष और उनकी पत्नी ने फैसला किया कि वह लोग अपनी जमीनों पर खेती करेंगे। खेती और किसानी से पूरी तरह अनभिज्ञ होने के कारण शुरुआत में इस कपल को काफी दिक्कतें आईं। उन्हें इस काम के लिए कोई प्रशिक्षित मजदूर भी नहीं मिले आखिरकार उन्होंने अपनी जमीनों पर पारंपरिक तरीके से खेती करने का डिसीजन लिया। आखिरकार उनका फैसला रंग लाया और उन्होंने इंटरनेट और YouTube की मदद से खेती की नई नई तकनीकों और तौर-तरीकों की जानकारी ली। आजकल सुभाष और उनकी पत्नी अपने खेतों में तमाम तरह की नकदी फसलें उगा रहे हैं जिनमें केले, पपीते, मूंगफली के साथ साथ गन्ना और चावल जैसी बड़ी फसलें भी शामिल हैं। सुभाष से मिलकर कोई भी यह नहीं समझ पाता कि शहर के हाई फाई ऑफिस में काम करने वाला यह इंजीनियर कैसे खेती-किसानी से इतना नजदीक से जुड़ा हुआ है। Source
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