पहले एक नजर में जानिए एफडीआई की पॉलिसी के बारे में
1. मल्टी ब्रांड रिटेलिंग में 51 परसेंट एफडीआई की परमिशन
2. सिंगल ब्रांड रिटेलिंग में 100 परसेंट एफडीआई की परमिशन.
3. देश के 53 शहरों में जिनकी पॉपुलेशन दस लाख से अधिक है, वहीं फॉरेन कंपनीज अपने स्टोर खोल सकेंगी.
4. रिटेल सेक्टर में फॉरेन कंपनीज को कम से कम 10 करोड़ डॉलर का इनवेस्टमेंट करना होगा.
5. इन कंपनियों को 30 परसेंट प्रोडक्ट्स भारत की छोटी व बेहद छोटी कंपनियों से खरीदने होंगे.
(दावा किया जा रहा है कि एफडीआई की परमिशन के साथ ही आने वाले कुछ वर्षों में देश में एक करोड़ जॉब्स क्रिएट होंगी.)
गवर्नमेंट ने मल्टी ब्रांड रिटेलिंग में 51 परसेंट और सिंगल ब्रांड रिटेलिंग में 100 परसेंट फॉरेन डाइरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) को मंजूरी दे दी है. अब आम आदमी को यह तो पता है कि मार्केट में कुछ हुआ है, लेकिन वाकई में हुआ क्या है और इसका उसपर क्या असर पड़ेगा, उसे नहीं मालूम. जैसा कि हम जानते हैं कि गवर्नमेंट ने सिंगल ब्रांड और मल्टी ब्रांड रिटेलिंग में फॉरेन डाइरेक्ट इनवेस्टमेंट को मंजूरी दी है. अब पहला सवाल उठता है कि यह मल्टी ब्रांड और सिंगल ब्रांड रिटेलिंग क्या होती है.Multi Brand Retail Company
मल्टी ब्रांड रिटेल कंपनीज से आशय उनसे है जो कि सुपरमार्केट या चैन स्टोर ऑपरेटर्स की तरह डिफरेंट ब्रांड और डिफरेंट वैरायटी के प्रोडक्ट्स को सेल करते हैं. मतलब आप एक ही जगह कई फेमस ब्रांड के प्रोडक्ट खरीद सकते हैं. इनमें वॉल मार्ट और फ्रांस केयरफोर जैसी कंपनीज शामिल हैं.
Singal Brand Retail
वहीं सिंगल ब्रांड रिटेल का मतलब ऐसी कंपनीज से है तो कि किसी एक स्पेशल ब्रांड के प्रोडक्ट ही सेल करती हैं. ऐसी कंपनीज आमतौर पर सिटीज में अपने आउटलेट खोलती हैं, जहां से आप उनके प्रोडक्ट्स को डायरेक्ट ले सकें. इनमें नाइक और लिवाईस जैसी कंपनीज शामिल हैं.
अब बात करते हैं कि एफडीआई को मंजूरी मिलने के बाद आखिर इसका असर क्या होगा और किन पर होगा.
सरकार का दावा है कि रिटेल सेक्टर में एफडीआई के साथ ही तीन वर्षों में एक करोड़ से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे. मल्टी ब्रांड स्टोर्स से सीधे तौर पर 40 लाख जॉब्स क्रिएट होंगी जबकि इससे रिलेटेड सेक्टर में 50-60 लाख लोगों को जॉब्स मिलेंगी. अभी भी देश के रिटेल क्षेत्र में चार करोड़ लोग सीधे तौर पर कार्यरत हैं. इंटरनेशनल एडवाइजरी फर्म एटी केर्नी की रिपोर्ट कहती है कि हर 400 वर्ग फीट के रिटेल स्टोर में एक व्यक्ति को जॉब मिलती है. मेक्सिको व ब्राजील में तकनीकी की मदद से वॉलमार्ट के बड़े-बड़े स्टोर बहुत ही कम लोगों को रखकर चलाए जा रहे हैं.
BCG Report
सीआईआई और बोस्टन कंसंल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी रिटेल कंपनीज के आने से आम लोगों को डेली यूज में आने वाले प्रोडक्ट्स में 10 परसेंट तक का फायदा मिलेगा. यह भी कहा जा रहा है कि यह कंपनीज सीधे किसानों और प्रोड्यूसर्स से माल लेंगे ऐसी स्थिति में बिचौलियों का खेल खत्म हो जाएगा और लोगों को कम कीमत पर सामान मिल सकेगा.
गवर्नमेंट का कहना है कि देश की 40 परसेंट फल-सब्जियां उचित संरक्षण के आभाव में बर्बाद हो जाती हैं. विदेशी कंपनियां इन्हें संरक्षित रखने के लिए भी इनवेस्टमेंट करेंगी. इससे यह फल और सब्जियां भी यूज की जा सकेंगी ओर उनकी सप्लाई भी बढ़ सकेगी. आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव ने भी कहा है कि रख-रखाव नहीं होने की वजह से हर वर्ष हजारों टन गेहूं व चावल सरकारी गोदामों में सड़ जाते हैं. भारत में जितने कोल्ड स्टोरेज है उनमें से 80 फीसदी में सिर्फ आलू रखे जाते हैं. ऐसे में बर्बाद होने वाले खाद्य उत्पादों का उपयोग होगा, आपूर्ति बढ़ेगी और महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी.
किसानों को फायदा
किसान सीधे तौर पर बड़ी रिटेल कंपनियों के लिए पैदावार कर सकेंगे. फॉर्मिंग प्रोडक्ट्स के लिए अभी आप मो पेमेंट करते हैं उसका सिर्फ सातवां हिस्सा ही किसानों को मिल पाता है. सीआइआई व बीसीजी की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय किसानों को फूड प्रोडक्ट्स की कम कीमत ही मिल पाती है. विदेशी रिटेल कंपनियां सीधे किसानों से समझौता करेंगी. कुछ एक्सपट्र्स का यह भी दावा है कि किसान विदेशी कंपनियों के हाथों में कठपुतली बन सकते हैं.
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