कंप्यूटर पर कब्जा
चलिए बात शुरू करते हैं बात कुछ नयी तकनीक से। याद है जब घर पर पहला पीसी आया था और दोनों भाई बहन उस पर अपना हक जताते थे और पहले खुद काम करना चाहते थे। बहन को ड्राइंग करनी होती था तो भाई को गेम खेलना होता था।
मेरा कार्टून तेरा कार्टून
हां भई टीवी का रिमोट तो लड़ाई का पहला मुद्दा होता था। जब दीदी को पॉवरपफ गर्ल देखना होता था और भाई को डैक्स्टर लेबोरेटरी।
कपड़ों की चोरी
हम उम्र सिबलिंग्स अगर सेम सेक्स के हैं तो समझ लीजिए आपका घर जंग का स्थायी मैदान बन जाता था। हर बहनों और भाइयों के बीच इस बात को लेकर लड़ाई होती थी उसने मेरा फेवरेट ड्रेस पहन लिया वो मेरी प्रेस की शर्ट पहन कर फुर्र हो गया।
खिलौने
मेरी डॉल की टांग किसने तोड़ी या मेरी टॉय रेसिंग कार की बैटरी कहां गयी और इस बात पर सिबलिंग्स में महाभारत ना हो ये कोई माता पिता नहीं मानेंगे।
ये वाला गेम
इसे तो आप पहचान ही गए होगे इस ब्रिक वीडियो गेम पर कोई सिबलिंग लड़ा ना हो ही नहीं सकता।
मम्मा का दुलारा कौन
मां मुझे ज्यादा प्यार करती है इस बात पर तो कभी खुशी कभी गम के शाहरुख खान और ऋतिक रोशन तक लड़ गए थे। बचपन की इस लड़ाई का फैसला तो बड़े होने तक नहीं होता।
वो सावन के झूले
सावन बीत रहा है और राखी भी है तो झूले को कैसे भूला जा सकता है जो लड़ाई का सबसे बड़ा मुद्दा बन जाता था। बात फिर चाहे पहले कौन झूले इसकी हो या फिर धक्का कौन लगायेगा इसकी।
मीठे की आखिरी बाइट
टीके की थाली का आखिरी लड्डू किसके हाथ लगेगा और किसके पेट में जायेगा इसका फैसला तो सिबलिंग्स के बीच जबरदस्त लड़ाई के बाद ही होता था।
कौन सही है
मुद्दा कोई भी है सही सारे सिबलिंग्स होते थे और कोई किसी की नहीं सुनता था। पापा की डांट या मां के तमाचे के बाद लड़ाई भले ही रुक जाती थी पर सही गलत का फैसला कभी नहीं नहीं होता था।
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