सऊदी अरब के रेगिस्तान में मिला सबसे पुराना इंसानी जीवाश्म
IANS: पुरातत्वविदों ने सोमवार को सऊदी अरब के नेफुड रेगिस्तान में एक जीवाश्म यानि मानव की उंगली की हड्डी खोज निकाली है। बताया जा रहा है कि 3.2 सेंटीमीटर लंबी हड्डी का यह जीवाश्म करीब 85,000 साल पुराना है। रिसर्च टीम के मुताबिक यह खोज अरब प्रायद्वीप पर पाए जाने वाले पहले और सबसे प्रारंभिक होमो सेपियन्स जीवाश्म और हमारी प्रजातियों का सबसे पुराना नमूना माना जा सकता है। इंग्लैंड की यॉर्क यूनीवर्सिटी के पुरातत्वविद रॉबिन इंगलीस जो इस रिसर्च टीम का हिस्सा भले ही नहीं रहे, लेकिन उनका कहना है कि "यह वो खोज है जिसकी हम काफी समय से उम्मीद कर रहे थे।
होमो सेपियंस की कड़ी में अरब के रेगिस्तान में मिला जीवाश्म है सबसे पुराना
जानकारी के मुताबिक हाल के कुछ सालों में ऑस्ट्रेलिया से 80,000 साल पुराने मानव दांत और ऑस्ट्रेलिया से 65,000 साल पुराने मानवीय अवशेषों के क्रम को अरब रेगिस्तान में मिली उंगली की हड्डी और आगे बढ़ा रही है। अब तक पुरातत्वविद भले ही जो कुछ मानते हों, लेकिन अब अरब में मिली यह उंगली एक ऐसा सबूत है, जो बताती है कि प्रारंभिक आधुनिक मनुष्य बहुत पहले ही अफ्रीका के बाहर चारो ओर फैल गए थे, लेकिन हमें अबतक कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिला था, जो अब मिल ही गया है।
60 हजार साल पहले ही अरब तक पहुंच चुके थे होमो सेपियंस
सबसे पुराने इंसानी जीवाश्म को खोजने वाली पुरातत्वविदों की टीम के मुताबिक इस जीवाश्म के जेनेटिक्स की जांच से यह पता चल रहा है कि आधुनिक मानव करीब 60 हजार साल पहले ही अफ्रीका और लेवेंट यानि एशिया के भूभाग से बाहर प्रस्थान कर चुका था। अब तक हम ऐसा नहीं सोचते थे, क्योंकि अब तक हमारे पास कोई ऐसा सबूत नहीं था।
पुरातत्वविदों के मुताबिक इस उंगली का मिलना एक सपना सच होने जैसा है
इस रिसर्च से जुड़े पुरातत्वविदों के मुताबिक अरब के रेगिस्तान में इस इंसानी उंगली का मिलना हमारी टीम के लिए उस सपने जैसा है, जिसे हम पिछले 10 साल से बुनने में जुटे हैं। इस इलाके में 85 हजार साल पहले के इस इंसानी सबूत से यह बात भी सामने आती है कि उस वक्त के इंसान के लिए यह जर्नी तमाम अंजान रास्तों और बहुत ही मुश्किलों से भरी हुई थी।
उस वक्त हरियाली और झीलों से भरा हुआ था अरब प्रायद्वीप
जर्मनी में मानव इतिहास विज्ञान के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के पुरातत्वविद् माइकल पेट्रग्लिया ने अपने एक फेमस रिसर्च पेपर में लिखा था कि उस दौर में आधुनिक मानव अफ्रीका से अलग अलग समय और टुकड़ों में मूव करते थे। इन्हीं के मुताबिक उस युग में अरब आज के लाल रेत के सागर से बिल्कुल ही अलग था। उस वक्त मे यहां हरे भरे घास के मैदान, झीलें, नदियां और उनके आसपास तमाम जंगली जानवरों का निवास था, जिनमें शुतुरमुर्ग से लेकर हिप्पो यानि दरियाईघोड़ा तक सभी शामिल थे। उस वक्त का अरब प्रायद्वीप जन्नत से कम नहीं था।
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