हालांकि इस मामले में अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में यह मामला तब सामने आया, जब वकील अपने एक साथी की गिरफ़्तारी का विरोध कर रहे थे.
वकीलों पर आरोप है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के सहयोगी ख़लीफ़ा उमर का अपमान किया था. पुलिस के अनुसार उसने एक स्थानीय व्यक्ति की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई है.
आलोचकों का कहना है कि ईशनिंदा क़ानून का पाकिस्तान में अक्सर दुरुपयोग होता है.
पंजाब के झांग जिले में 8 वकीलों के ख़िलाफ़ नामज़द रूप से और 60 अज्ञात वकीलों के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज किया गया है.
ये वकील पिछले सप्ताह झांग में एक वकील को कथित तौर पर ग़ैरकानूनी रूप से हिरासत में लेने और उनको प्रताड़ित करने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे.
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने दूसरे ख़लीफ़ा उमर के हमनाम एक पुलिस वाले की खिल्ली उड़ाई थी, जिससे उसकी भावनाएं आहत हुईं.
दुरुपयोग
पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले में अधिकतम सज़ा के रूप मृत्युदंड का प्रावधान है.
इस्लामाबाद में मौजूद बीबीसी संवाददाता इलियास ख़ान ने बताया कि यदि इस मामले में मुक़दमा चलाया जाता है और आरोप सिद्ध होते हैं तो इऩ वकीलों को तीन वर्ष तक की कारावास होगी.
इलियास ख़ान ने बताया कि अधिकांश लोगों का मानना है कि यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे ईशनिंदा क़ानून का दुरुपयोग किया जा सकता है.
मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर आशिक हुसैन ने बीबीसी को बताया, ''चूंकि, झांग शहर का पूरा न्यायिक समुदाय इसमें फंस गया है, इसलिए मामले को सुलझाने की कोशिशें हो रही हैं और हो सकता है कोई गिरफ़्तारी न हो.''
बीबीसी संवाददाता के अनुसार गिरफ़्तारी न होने के बावजूद, इस मामले में नामज़द लोग ऐसे देश में सुरक्षित नहीं महसूस कर सकते, जहां सांप्रदायिक हिंसा का पुराना इतिहास है.
पाकिस्तान में इस्लाम के ख़िलाफ़ की गई ईशनिंदा को बहुत ही गंभीर अपराध माना जाता है.
पिछले सप्ताह पंजाब के मुल्तान में ईशनिंदा के एक आरोपी के वकील की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
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