पति-पत्नी और बेटी थे सुप्रीम कोर्ट में मौजूद
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह आदेश पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक गांव के रहने वाले व्यक्ति की तलाक की मांग पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट के पिछले आदेश के अनुपालन में शुक्रवार को भी परिवार के तीनों सदस्य पति, पत्नी और बेटी कोर्ट में मौजूद थे। हालांकि इस टूटे परिवार के पति-पत्नी 27 वर्षों से अलग रह रहे हैं। शादी के एक साल बाद ही बेटी का जन्म हुआ था और उसके जन्म से पहले वे अलग हो चुके थे। बेटी का जन्म भी नाना के घर हुआ और पिता उससे मिलने कभी नहीं आया।
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पति के वकील ने कहा दे सकते हैं सिर्फ 10 लाख रुपये तक
प्रधान न्यायाधीश ने ग्रेजुएट करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही लड़की से पूछा कि कितना पैसा चाहिए। लड़की ने कहा 50 लाख, 20 लाख शादी के लिए और बाकी मां के गुजारे और इलाज के लिए। उनके पास घर भी नहीं है। जब कोर्ट ने दूसरे पक्ष से पूछा तो पति के वकील जीतेन्द्र मोहन ने कहा कि 8-10 लाख दे सकते हैं। माली हालत ठीक नहीं है। रिश्तेदारों से कर्ज लेकर इसका इंतजाम करेंगे। ये सुनते ही पीठ नाराज हो गई। कोर्ट ने कहा कि अगर 20 लाख नही देते हो तो वे तलाक की याचिका खारिज कर देंगे। दोनों जैसे रह रहे हो वैसे ही रहना। इस पर जीतेन्द्र मोहन ने केस खारिज न करने की अपील की। कोर्ट ने फिर सोचा और कुछ मुरब्बत दिखाते हुए दोनों पक्षों से कहा कि छह मिनट के लिए बाहर जाकर मशविरा करो और फिर बताना कि फाइनल कितना पैसा दिया जा सकता है। इसके बाद दोनों पक्षकार अपने वकीलों के साथ बाहर चले गए। छह मिनट बाद फिर लौटे। इस बार पत्नी के वकील महावीर सिंह और निखिल जैन ने कहा कि 45 लाख तो चाहिए ही हैं।
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कोर्ट का आदेश दो किस्तों में दीजिए 22 लाख रुपये
कोर्ट ने उनसे कहा तर्कसंगत मांग करो जिस पर महावीर सिंह का कहना था कि ठीक है 25 लाख दिला दीजिए। दूसरी ओर के वकील जीतेन्द्र मोहन ने कहा कि वह 20 लाख देने को तैयार हैं। जिसमें से 10 लाख एक महीने के अंदर दे देंगे और बाकी के 10 लाख देने के लिए उन्हें एक वर्ष का समय दिया जाए। दोनों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि ठीक है 22 लाख रुपये 11-11 लाख की दो किस्तों में अदा करो। जब ये पैसा दे दोगे तभी तुम्हें तलाक दिया जाएगा और निचली अदालत में तुम्हारे खिलाफ लंबित सारे मामले बंद हो जाएंगे। कोर्ट ने आदेश लिखाया जिसमें पति को 11 लाख रुपये 30 जनवरी तक और बाकी के 11 लाख 18 जुलाई तक देने का आदेश दिया और भुगतान की स्थिति परखने के लिए मामले को 13 फरवरी को लगाने का निर्देश दिया।
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आदेश का पालन नहीं किया तो भेज देंगे तिहाड़ जेल
तभी पति के वकील ने कहा कि दूसरी किस्त अदा करने के लिए एक साल का समय दे दिया जाए। जिस पर प्रधान न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए कहा कि तब तक तो वह यहां रहेंगे ही नहीं। कोर्ट ने कहा कि उन्हें अपने आदेश का पालन कराना आता है और आदेश का पालन न करने पर तिहाड़ जेल भेजना भी आता है। बात बिगड़ती देख जीतेन्द्र मोहन ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है कोर्ट के आदेश का पालन होगा।
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Report by : माला दीक्षित, नई दिल्ली
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