कार्यकर्ताओं को नहीं कर सकते नियंत्रित
ब्रदरहुड प्रवक्ता जिहाद अल हदाद ने बताया कि अब वे अपने कार्यकर्ताओं को नियंत्रित नहीं कर सकते. पुलिस कार्रवाई के बाद वह किसी की नहीं सुन रहे. उन्हें मुर्सी राष्ट्रपति पद पर दोबारा वापस चाहिए. देश के कई शहरों में मुर्सी समर्थक और विरोधी एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक हिंसा जारी है. बुधवार को लागू की गई इमरजेंसी के बावजूद कोई खास अंतर पड़ता फिलहाल नहीं दिखाई दे रहा है. काइरो की अल इमाम मस्जिद में 228 शव सफेद चादरों में लपेटकर रखे गए हैं. वहां लोग अपनों की तलाश में पहुंच रहे हैं. 2011 में होस्नी मुबारक को सत्ता से बेदखल करने के लिए हुए विरोध प्रदर्शन के बाद यह सबसे खूनी संघर्ष में तब्दील होता जा रहा है.
सुरक्षा बलों की कार्रवाई का बचाव
सेना समर्थित अंतरिम प्रधानमंत्री हाजेम अल बेबलावी ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई का बचाव किया है. बुधवार को टेलीविजन पर संबोधन में बेबलावी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बारे में निर्णय लेना आसान नहीं था. सरकार द्वारा बीच-बचाव का मौका दिए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पाया कि मिस्र में हालात उस स्थिति में पहुंच गए हैं, जिसे कोई देश स्वीकार नहीं कर सकता है. देश में अराजक स्थिति बन गई थी और अस्पतालों और थानों पर हमला किया जा रहा था. सेना ने तीन जुलाई को मुर्सी को अपदस्थ कर दिया था. बुधवार को मुर्सी समर्थकों को शिविरों से खदेडऩे के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे और गोलियां चलाई थीं. शिविरों को नष्ट करने के लिए सुरक्षाबलों ने बुलडोजर का भी प्रयोग किया था. स्वेज शहर में 84 लोगों को गिरफ्तार कर सैन्य अभियोजकों को सौंपे जाने की भी खबर है. इन पर हत्या और चर्चों को जलाने के आरोप हैं. वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लई ने मिस्र में पुलिस की कार्रवाई में हुई मौतों की स्वतंत्र जांच करने की मांग की है.
मिस्र-अमेरिका संयुक्त युद्धाभ्यास रद
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मिस्र में फैली अराजकता के बाद प्रस्तावित संयुक्त सैन्य अभ्यास को रद करने का फैसला लिया है. ओबामा ने प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई की निंदा भी की है. हालांकि, उन्होंने सेना को मिल रही 1.3 अरब डॉलर की सालाना मदद पर कुछ नहीं कहा.
उन्होंने कहा कि मिस्र एक खतरनाक रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति में सैन्य अभ्यास अच्छा विकल्प नहीं है. ओबामा ने कहा कि हम मानते हैं कि मुहम्मद मुर्सी चुने हुए राष्ट्रपति थे. लेकिन, दुनिया को यह भी नहीं भूलना चाहिए उनकी सरकार जनता की आवाज नहीं सुन रही थी. हम सभी जानते हैं कि लाखों मिस्रवासी देश में बदलाव की मांग करते हुए सडक़ों पर उतर आए थे. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने मिस्र, कतर, तुर्की और यूएई के अपने समकक्षों से भी वार्ता की है. केरी ने कहा है मिस्र में सबसे पहले शांति बहाली पर ध्यान देना चाहिए.
संयुक्त अरब अमीरात ने पुलिस कार्रवाई का किया समर्थन
मुर्सी समर्थकों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई का संयुक्त अरब अमीरात ने समर्थन किया है. वहीं, तुर्की के प्रधानमंत्री रेसेप तैय्यप अरदोगान ने मिस्र में सुरक्षा बलों की कार्रवाई को नरसंहार करार देते हुए इसे लेकर शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की मांग की है. इक्वाडोर ने मिस्र में अपने राजदूत को विचार-विमर्श के लिए वापस बुला लिया है. रूस ने नागरिकों को मिस्र की यात्रा पर न जाने की सलाह दी है.
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