सही सेटिंग्स पर देना होगा ध्यान
ये एक साधारण सा लॉजिक है. अगर आप अपना फोन स्विच ऑफ करते हैं, तो वाई-फाई नेटवर्क, 4G नेटवर्क या यहां तक की GPS पर लोकेशन को देखने की भी जरूरत नहीं है. जब फोन स्विच ऑफ हो चुका होता है, तब बैट्री को कुछ और नहीं सिर्फ खुद को चार्ज करना होता है. एक वैकल्पिक प्रस्ताव यह है कि फोन की चार्जिंग स्पीड को बढ़ाने के लिए उसे एयरप्लेन मोड पर रख दें, लेकिन फोन को चार्ज करते समय आपको इसको इस्तेमाल में लाने से बचना चाहिए. आपकी स्क्रीन सबसे ज्यादा बैट्री खींचती है. ये फॉलो करने के लिए सबसे सरल सलाह है, लेकिन ज्यादातर लोग इसे ही नजरअंदाज करते हैं. इसके अलावा अगर आपको फोन कॉल्स रिसीव करने भी हों, तो ध्यान दें कि उस समय फोन पर अन्य सभी चीजों को बंद कर दें. खासतौर पर डाटा कनेक्शन (3G/4G) को. एक बात और ध्यान दें कि फोन स्क्रीन की ब्राइटनेस को जितना कम हो, उतने पर इस्तेमाल करें. हो सके तो जितनी देर हो सके फोन की स्क्रीन को भी बंद ही रहने दें. फोन की स्क्रीन ही सबसे ज्यादा बैट्री की खपत करती है.
सही पावर एडॉप्टर और केबल का इस्तेमाल करें
लगभग सभी गैजेट्स के अलग-अलग चार्जर ही होते हैं. ऐसे में आपके स्मार्टफोन के साथ जो भी पावर एडॉप्टर मिला हो, उसी से ही अपने फोन को चार्ज करना चाहिए. आइए अब आपको कुछ आपके चार्जर के बारे में भी बता दें. यहां कुछ खास है amp रेटिंग को लेकर. अब आप ये सोच रहे होंगे कि ये amp रेटिंग क्या है. अक्सर हर चार्जर की तरह आपके भी चार्जर पर कुछ ऐसा लिखा होगा. 5.0V->1A. इसमें 1A का मतलब है 1amp. ज्यादातर स्मार्टफोन्स को इस 1amp करंट की ही जरूरत होती है. इसके अलावा अगर चार्जर पर इससे ज्यादा amperage रेटिंग है तो चिंता मत करिए, आपका फोन अभी भी चार्ज होगा, लेकिन ज्यादा रफ्तार के साथ. इसके विपरीत अगर चार्जर की रेटिंग 1A से कम है तो आपका फोन जरा धीमे चार्ज होगा, अपेक्षाकृत जैसे होना चाहिए, उससे भी धीमे. इसके अलावा आपके पावर एडॉप्टर के साथ सही केबल का इस्तेमाल होना भी बहुत ज्यादा जरूरी है. एक बार फिर यहां वही याद दिलाने की जरूरत है कि फोन के साथ उसी चीज का इस्तेमाल करें जो उस फोन के बॉक्स में साथ मिला है.
USB Port के बजाए दीवार के प्लग प्वाइंट का इस्तेमाल करें
आपके स्मार्टफोन के साथ सबसे अहम और खास बात यह है कि वह आपके लैपटॉप के USB पोर्ट से भी चार्ज हो जाएगा, लेकिन ये आपके फोन को काफी धीमी गति से चार्ज करता है. इसके भी कई कारण हैं. इनमें पहला है, जैसा कि हमने पावर एडॉप्टर के बारे में बात की, आमतौर पर USB पोर्ट सिर्फ 0.5A तक चार्ज कर सकता है. ऐसे में ये 1A पावर एडॉप्टर की अपेक्षा ज्यादा समय लेता है. सिर्फ USB 3.0 पोर्ट ही 0.9A की अधिकता तक पहुंच सकता है और चांस ये है कि आप वहां तक पहुंच नहीं सकते. दूसरा यह है कि उदाहरण के तौर पर अगर आप अपना आई-फोन Mac के साथ कनेक्ट कर देते हैं, तो वह तुरंत सिंक्रनाइज़ करना शुरू कर देता है. इसकी वजह से फोन और भी ज्यादा धीमी गति के साथ चार्ज होने लगता है. यही नहीं वॉल एडॉप्टर के साथ आपको कन्जंक्शन का भी सामना करना पड़ सकता है.
केस और कवर से निकालकर किसी ठंडी जगह पर फोन को रखें
आप अगर फोन को चार्ज करते समय उसके कवर या केस को नहीं निकालते हैं, तो अब से ऐसा करिएगा. इससे काफी फायदा मिलेगा. स्मार्टफोन की बैट्री में लिथियम-इयोन का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि एक साधारण से उद्देश्य को स्वीकार करता है. वह है 'a cooler battery is a better battery'. मतलब ठंडी बैट्री ही सुरक्षित बैट्री होती है. ऐसे में फोन के केस और कवर को हटाने से आपको बैट्री को कमरे के तापमान के बराबर रखने में मदद मिलेगी. वहीं अगर आपके कमरे का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस है, तो आपको ऐसी किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ेगी.
पावर बैंक को बिल्कुल मत भूलिएगा
इन सभी टिप्स से अगर आपको मदद मिलती है फोन की चार्जिंग स्पीड को बढ़ाने में, तो बेहतर है. इन सबके अलावा पावर बैंक (बैट्री पैक्स) को तो आप भूल ही नहीं सकते. पावर बैंक से आपके फोन की बैट्री उस समय भी चार्ज की जा सकेगी, जब आप लंबे समय से प्लग प्वाइंट से कहीं दूर हों.
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