ब्रितानी अख़बार 'द गार्डियन' में प्रकाशित दस्तावेज़ों से ये संकेत मिले हैं.
इन ख़ुफ़िया दस्तावेज़ों के मुताबिक अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने अमरीकी सरकार के एक अन्य विभाग से दो सौ टेलीफ़ोन नंबरों की सूची मिलने के बाद जासूसी शुरू कर दी थी.
अक्टूबर 2006 की तारीख़ वाले इन दस्तावेज़ों के मुताबिक एनएसए ने अमरीका के गृह मंत्रालय, व्हाइट हाउस और पेंटागन में तैनात अधिकारियों से विश्व के शीर्ष नेताओं के नंबर हासिल किए.
सिर्फ़ एक ही अधिकारी ने दो सौ से अधिक नंबर उपलब्ध करवाए जिनमें से 35 विश्व के शीर्ष नेताओं के थे. हालाँकि इनमें से किसी नेता का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है.
'जासूसी पर तनातनी'
अमरीका पर जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल के फ़ोन की जासूसी के भी आरोप लगे हैं. मैर्केल ने अपने फ़ोन की जासूसी के मामले में राष्ट्रपति ओबामा से भी विरोध दर्ज कराया था.
अब इस ताज़ा मामले से यूरोपीय देशों और अमरीका के बीच जासूसी को लेकर जारी तनाव बढ़ सकता है.
इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने भी फ्रांस के नागरिकों के निजी फ़ोन कॉल और मोबाइल संदेशों की जासूसी के आरोपों पर राष्ट्रपति ओबामा से बात की थी.
यूरोपीय शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुँची अंगेला मैर्केल ने कहा कि दोस्तों के बीच जासूसी नहीं की जाती है. उन्होंने कहा कि दोनों सहयोगी देशों के बीच फिर से विश्वास पैदा करने की ज़रूरत है.
इससे पहले जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने बर्लिन में अमरीकी राजदूत को तलब किया. वहीं अमरीका ने कहा है कि वह अंगेला मैर्केल के मोबाइल फ़ोन की जासूसी नहीं कर रहा है.
सफ़ाई
व्हाइट हाऊस के प्रवक्ता जे कार्नी ने कहा, "हम हर कथित ख़ुफ़िया गतिविधि पर सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे. नीतिगत मामलों के तहत हम पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि अमरीका भी उसी तरह की ख़ुफ़िया जानकारियाँ इकट्ठा करता है जिस तरह की जानकारियाँ बाकी देश जुटाते हैं."
राष्ट्रपति ओबामा ने चांसलर अंगेला मैर्केल से बात की थी और उन्हें भरोसा दिया था कि अमरीका न उनके फ़ोन टेप कर रहा है और न ही कभी करेगा.
अमरीकी प्रवक्ता ने कहा, "राष्ट्रपति के दिशा निर्देशों के बाद हम जानकारियाँ जुटाने के अपने तरीकों पर फिर से विचार कर रह हैं ताकि हमारे देश के नागरिकों की सुरक्षा चिंताओं और बाकी अन्य लोगों की निजता की चिंताओं के बीच ठीक से संतुलन बनाया जा सके."
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने कहा, "इस साल के अंत तक फ्रांस और जर्मनी इस मामले पर अमरीका के साथ वार्ता की पहल करेंगे, ताकि आपसी सहयोग और स्पष्टीकरण के लिए एक आम ढांचा बनाया जा सके. अन्य यूरोपीय देश जो हमारे साथ आना चाहे उनका स्वागत है."
इससे पहले, अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री मेडेलीन अलब्राइट ने कहा कि जब वे संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की राजदूत थी तब फ्रांस ने उनकी जासूसी की थी. 'सरकारों के बीच जासूसी होना जीवन का एक सत्य है.'
ख़ुफ़िया कार्यक्रम
एनएसए के पूर्व कर्मचारी स्नोडेन ने जून में अमरीका का ख़ुफ़िया कार्यक्रम उजागर किया. इसमें कहा गया था कि एनएसए और सीआईए एजेंसियां दुनियाभर में बड़े पैमाने पर जासूसी कर रही हैं.
इनमें चीन और रूस जैसे विरोधियों के अलावा सहयोगी यूरोपीय संघ और ब्राज़ील भी शामिल हैं. इसके बाद एनएसए ने क़बूल किया था कि उसने लाखों अमरीकियों के ईमेल और फ़ोन डेटा को हासिल किया था.
स्नोडेन फिलहाल रूस में हैं जहां उन्हें शरण मांगने के बाद एक साल का वीज़ा दिया गया है. अमरीका उनके ख़िलाफ़ आपराधिक आरोपों में मुक़दमा चलाना चाहता है.
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