"If the world comes to an end, I want to be in Cincinnati. Everything comes there ten years later"- Mark Twain
कहा जाता है दुनिया की उम्र अब केवल 1 साल और है. सुमेरिया और माया सभ्यताओं ने दुनिया के खात्मे की डेडलाइन को 2012 तय किया है. इससे इस साल को लेकर एक डर का सा माहौल बन गया है. सभी को लगता है कि 2012 में दुनिया खत्म हो जाएगी. आइये जानते हैं क्या है सच्चाई-
दुनिया के खात्मे के दो तर्क दिये जा रहे हैं-
1. माया सभ्यता का कैलेंडर 2012 में खत्म हो रहा है.
2. सुमेरिया सभ्यता के मुताबिक 2012 में नाइबरू नाम का एक प्लैनेट धरती से टकरा जाएगा.
इसके अलावा भी कई तर्क हैं-
1. एक प्राचीन हिंदू मान्यता के मुताबिक भी 2012 के बाद कलियुग का स्वर्णकाल शुरू होगा. ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि कलियुग में भी एक स्वर्ण युग आएगा. कहा जाता है कि यह भविष्यवाणी भगवान श्रीकृष्ण ने की थी.
2. तिब्बत के कुछ बौद्घ भिक्षुओं ने भी अपनी गणना में इस साल किसी बड़ी अनहोनी घटने की आशंका जताई है.
3. फेमस एस्ट्रोलाजिस्ट नास्त्रेदमस के एक पहेली जैसे पद को भी 2012 के खात्मे से जोड़कर देखा जा रहा है. नास्त्रेदमस ने अपनी मशहूर बुक ‘द प्रोफेसीज’ में 2012 की इंसीडेंट्स की डिटेल दी है.
4. Howard University के economist जेफ्री फ्रैंकेल ने कहा है कि 2012 के आसपास दुनिया की ज्यादातर इकानमी तबाह हो जाएंगी. वेस्टर्न एस्ट्रालजिस्ट सेंट क्लेयर के एक प्रडिक्शन के मुताबिक 2012 में दूसरी एलियंस हमारी धरती पर आएंगे.
5. एस्ट्रोनामी में भी कहा जा रहा है कि दिसंबर में हमारी गैलेक्सी का सेंटर उगते हुए संक्रांति के सूरज के साथ एक सीध में आ जाएगा.
तर्क तो कई सारे हैं पर क्या इनसे यह मान लिया जाए कि हमारी दुनिया खत्म होने वाली है? आखिर इतने तर्कों के बीच भी क्या इस बात को पूरी तरह से मान लिया जाए कि इस साल हमारी दुनिया खत्म ही हो जाएगी.
"A man will bring an end to the Mayans and wipe out their civilization"- In Mel Gibson's movie on Mayan civilization "Apocalypto"
आखिर क्या हैं सुमेर सभ्यता
यह सभ्यता सीरिया, इराक और ईरान के आसपास दजला और फरात नदियों के डेल्टा पर 3400 ईसा पूर्व एक आबादी के तौर पर बसी थी. इस सभ्यता को दुनिया की पहली ऐसी सभ्यता कहा जाता है जिसने शहरों को डेवलप किया. इनके डेवलेपमेंट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सभ्यता की अपनी एक भाषा लिपि भी थी.
दुनिया में अबतक जो भी सबसे पुराने शिलालेख मिले हैं माना जाता है कि वे सुमेरिया के ही हैं. एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि सुमेरियाई संदेशों की लिपि में संस्कृत के भी कुच हिस्से मौजूद हैं.
इस सभ्यता के शिलालेखों में लिखा है कि हम इस धरती की संतान नहीं है हमें देवताओं ने नाइबरू ग्रह से लाकर धरती पर बसाया है.
धरती से टकराएगा एक प्लैनेट
सुमेरियाई लोगों का मानना था कि उनके देवता नाइबरू प्लैनेट पर मौजूद हैं. नाइबरू प्लैनेट एक ऐसे रास्ते से सूर्य की परिक्रमा कर रहा है जो सोलर सिस्टम के दूसरे प्लैनेट्स तरह हारिजेन्टल न होकर वर्टिकल है. सुमेरियाई इंस्क्रिप्शन्श में एक प्रडिक्शन है कि नाइबरू ग्रह 2012 को धरती के करीब आ रहा है. इससे ग्रैविटेशन के चलते धरती पर सुनामी आएगी और इसका विनाश हो जाएगा. लोग मानते हैं कि आज के साइंटिस्ट जिस प्लैनेट एक्स की तलाश कर रहे हैं वह प्लैनेट नाइबरू ही है.
ईसा की मौत की तीसरी सदी में डेवलेप हुई माया सभ्यता
माया सभ्यता ईसा के बाद की तीसरी सदी से दसवीं सदी के बीच डेवलप हुई. साउथ मेक्सिको, ग्वाटेमाला और बेलाइज हिस्से में इसे बसाया गया था. उस समय की यह सबसे डेवलप्ड सभ्यता थी और इसे इसके जिसे इतिहास माया सभ्यता के नाम से जानता है. माया सभ्यता के लोगों को स्टार साइंट की स्टडी के लिये जाना जाता है. कहा जाता है कि स्पेनी राबर्स के हमले के बाद ईसा की मौत के 1200 साल बाद यह सिविलाइजेशन खत्म हो गया.
कैलेंडर का है डर
साइंटिफिक कैल्कुलेशन्श पर बेस्ड माया सिविलाइजेशन का अपना एक कैलेंडर बना हुआ था. 2012 को लेकर सारी आशंकाओं और डर की वजह यह कैलेंडर ही है. इंग्लिश ग्रिगोरियन कैलेंडर से कम्पैरिजन करने पर पता चलता है कि माया सभ्यता का कैलेंडर 21 दिसंबर 2012 को खत्म हो रहा है. लोग इसका मतलब निकालते हैं कि 21 दिसंबर 2012 को दुनिया खत्म हो रही है.
यह भी कहा जाता है कि चांद धरती की परिक्रमा करता है, धरती सूर्य की और पूरे सोलर सिस्टम के साथ सूर्य इस गैलेक्सी की. गैलेक्सी का यह सर्कल 26,000 साल में पूरा होता है और ये 26,000 साल पूरे हो हैं.
क्या ये डर पूरी तरह लाजिकल हैं?
According to NASA scientist David Morrison, the widespread Internet rumor that the world will end in 2012 due to some astronomical event is a hoax. Dr. Morrison attributes the hype to 'cosmophobia' fueled by fake science websites and people trying to cash in on public lack of knowledge. Source: physorg.com
इन सारे तर्कों अगर आप ज्यादा ध्यान से नहीं देखेंगे तो आपको शायद यही लगेगा कि हां धरती 2012 में खत्म हो रही है. पर जरा गौर से देखिये और एक्पर्ट्स की बातों को एनलाइज कीजिये तो आपको इन सारे तर्कों को काटने वाले तर्क भी मिल ही जाएंगे.
1. ज्यादातर सुमेरियाई गणनाएं इस मैथेमेटिक्स को बेस बनाकर की गईं थी कि इस सोलर सिस्टम का सेंटर सूर्य है न कि धरती. अब जब यह प्रूव हो चुका है कि सूर्य की इस सिस्टम का सेंटर है उनकी मैथेमेटिक्स फेल ही नजर आती है. और धरती के आसपास अब तक कोई भी ऐसा प्लैनेट नहीं खोजा गया है जो धरती से टकरा जाए. हाल ही में प्लूटो के पास मिले जिस भारी भरकम कामेट को लेकर आशंकाएं जताई जा रही हैं वह धरती से इतना दूर है कि अगले कई सौ सालों तक वह हमसे टकरा नहीं सकता.
2. माया सभ्यता को स्टडी करने पर पता चलता है कि वे लोग काफी कर्मकांडी तो और कई सारी गलत धारणाओं पर काम करते थे. University of Sydney डॉ. कार्ल क्रूजेल्निकी कहते हैं कि सर्कल तो पूरे ही रहते हैं. हमारे कैलेंडर में ही हर महीने 31 को एक सर्कल पूरा हो जाता है तो क्या फिर नया सर्कस नहीं पूरा होता.
3. कलयुग वाली बात एक जबरजस्ती जोड़ी गई शरारत ही लगती है क्योंकि इसकी टाइमिंग 2012 से मैच नहीं करती है.
4. बौद्ध धारणा में जिन परमाणु हमलों की बात कही गई है वे इसलिये बेकार हैं क्योंकि 1945 के बाद से हमने इस तरह की समस्या से आपसी सहमति से ही निपटारा कर लिया है.
5. इकानमी के तबाह होने की बात से दुनिया के खात्मे वाली बात बिल्कुल भी समझ नहीं आती है. इकानमी में उतार चढ़ाव तो आते ही रहते हैं.
Nothing bad will happen to the Earth in 2012. Our planet has been getting along just fine for more than 4 billion years, and credible scientists worldwide know of no threat associated with 2012 -NASA
By: Alok Dixit
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