यह समझौता 20 जनवरी से लागू हो जाएगा. अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने समझौते का स्वागत किया है, लेकिन कहा है कि अब दीर्घकालीन समझौते के लिए और बातचीत की जानी चाहिए.

इस समझौते पर हाल ही में जिनेवा में हुई बातचीत में सहमति बनी थी हालांकि इसकी रूपरेखा नवंबर 2013 में तय कर ली गई थी.

समझौते के तहत ईरान अपने 5 प्रतिशत से अधिक शुद्धता वाले यूरेनियम संवर्धन को रोकेगा और अपने लगभग 20 प्रतिशत शुद्धता वाले संवर्धित यूरेनियम को प्रभावहीन करेगा. साथ ही वो निरीक्षकों को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों तक जाने देगा.

बदले में ईरान के ख़िलाफ़ लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में कुछ हद तक ढील दी जाएगी. उसके साथ तेल, सोना और अन्य धातुओं के व्यापार पर लगी रोक को हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

पश्चिमी देश ईरान पर परमाणु हथियार बनाने का आरोप लगाते रहे हैं जबकि ईरान लगातार इस बात से इनकार करता रहा है.

प्रतिबंध

यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख कैथरीन ऐश्टन ने कहा है कि दोनों पक्ष अब संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से इस बात का सत्यापन करने को कहेंगे कि समझौते पर अमल हो रहा है या नहीं.

ऐश्टन ईरान के साथ बातचीत में अमरीका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी का प्रतिनिधित्व करती हैं.

ईरानी परमाणु कार्यक्रम बंद करने की तारीख़ तय

ऐश्टन ने कहा, "हम आईएईए से कहेंगे कि वह परमाणु निगरानी और सत्यापन संबंधी गतिविधियां शुरू करे."

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने बयान में कहा है कि "20 जनवरी से, पहली बार, ईरान अपना उच्च स्तरीय संवर्धित यूरेनियम भंडार ख़त्म करना और वो ढांचा गिराना शुरू करेगा जिससे ये संवर्धन होता है."

ओबामा ने बताया कि अगर ईरान अपने वायदे पर क़ायम रहता है तो अमरीका और पांच अन्य विश्व शक्तियां, अगले छह महीने के दौरान उसे कुछ राहत देंगी.

ओबामा ने कहा, "हम प्रतिबंधों के वृहद ढांचों को कड़ाई से लागू रखेंगे और अगर ईरान अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटता है तो हम और प्रतिबंध लगाएंगे."

अमरीकी कांग्रेस में ईरान पर नए प्रतिबंधों के पैरोकार और अपने आलोचकों को चेतावनी देते हुए ओबामा ने कहा कि जब तक बातचीत चल रही है तब तक वो कांग्रेस में हर उस बिल के ख़िलाफ़ वीटो का इस्तेमाल करेंगे जो ईरान पर नए प्रतिबंध लगाता हो.

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