भोपाल (पीटीआई) भोपाल में गैस त्रासदी पीड़ितों में से दो और लोगों ने कोरोनोवायरस के चलते दम तोड़ दिया। इस प्रकार मध्य प्रदेश की राजधानी में इस तरह की मौतों की कुल संख्या सात हो गई है।
भोपाल गैस कांड के सरवाइवर थे मरने वाले
35 साल पहले हुए भयावह भोपाल गैस कांड से बच कर आने सात व्यक्ति कोरोना वायरस महामारी के शिकार हो गए हैं। गैस हादसे के शिकार लोगों के लिए काम कर रही भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन नाम की एनजीओ से जुड़ी रचना ढींगरा के अनुसार गैस हादसे में जीवित बचे 70 साल के एक बुजुर्ग की 17 अप्रैल को मौत हो गई, जबकि एक और 60 साल के त्रासदी पीड़ित की 14 अप्रैल को मृत्यु हुई थी। इस महीने की शुरुआत में, गैस रिसाव के शिकार हुए पांच लोगों की कोरोनावायरस बीमारी के कारण मौत हो गई थी। इस तरह COVID-19 से अब तक भोपाल में कुल सात व्यक्तियों की मौत हो चुकी है, ये सातों भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित थे।
सरकार और जनता दोनों खफा
भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी), जहां अब तक गैस त्रासदी पीड़ितों का इलाज होता था अब बदल कर वो अस्पताल बन चुका है जिसमें कोरोना पेशेंट का इलाज हो रहा है। हालांकि, पांच मौतों के बाद लोगों का गुस्सा भड़कने पर बीएमएचआरसी को गैसत्रासदी के शिकार हुए लोगों के लिए सुविधा के रूप में क्लासीफाइड करने पर सरकार ने भी नाराजगी जताई है।
5 अप्रैल को हुई पहली मौत
ढींगरा ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से भोपाल में 5 अप्रैल को पहली मौत एक 55 वर्षीय व्यक्ति की हुई थी। इसके बाद 8 अप्रैल को 80 साल के व्यक्ति की मौत हुई जो भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड यानि भेल का रिटायर्ड इंप्लॉय था। फिर 12 अप्रैल को 40 साल के कैंसर पेशेंट, 11 अप्रैल को 52 साल के एक सरवाइवर और 75 साल के एक रिटायर्ड जर्नलिस्ट की मौत हुई थी।
राज्य सरकार को लिखा पत्र
21 मार्च को गैस त्रासदी से बचे लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे कुछ संगठनों ने राज्य सरकार और केंद्र के संबंधित अधिकारियों को गैस ट्रेडिजी सरवाइवर्स की मौत के बढ़ते आंकड़े पर चिंता जताते हुए लेटर भी लिखा है।तीन दशक से अधिक समय से ऐसे लोगों के लिए काम कर रहे संगठनों का दावा है कि ऐसे सरवाइवरेस के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा सामान्य लोगों से पांच गुना अधिक होता है औऱ सामने आये आंकड़ों से कहीं जाता लोग भोपाल और राज्य में प्रभावित हैं।
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