सबसे ज्यादा तेल और स्वास्थ्य में
इराक में चल रहे ताजा युद्ध हालातों के बीच 18 हजार भारतीय फंसे हुए हैं. वहीं सरकार पर इराक में फंसे हुए भारतीयों को सुरक्षित निकालना इस समय सबसे अहम जिम्मेदारी है. इराक में इस समय युद्ध के हालात बने हुए हैं और ऐसे में वहां कई हजार भारतीय फंसे हैं जो कि वहां के अलग-अलग सेक्टरों में काम करते हैं. सबसे ज्यादा भारतीय तेल और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहें हैं.
आतंकियों के कब्जे में
तेल और स्वास्थ के अलावा कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर भारतीय कंपनियों का इराक में पैसा लगा है और भारत से गए हजारों लोग इनसे जुड़े हुए हैं. ऑफिशियल आंकड़ों के अनुसार, इराक में 16,000 भारतीय कर्मचारी काम करते हैं, जबकि अनऑफिशियली यह आंकड़ा 18,000 या उससे ज्यादा का हो सकता है. इराक के मोसुल, तिकरित जैसे शहर आतंकियों में कब्जे में आ चुके हैं और इन्हीं इलाकों में सैंकडों नर्से काम करती है जिसमें केरल की 44 भारतीय नर्से तिकरित के एक हॉस्पिटल में काम कर रही हैं.
जान बचाकर पहुंचा बगदाद
बगदाद में भारतीय राजदूत अजय कुमार ने लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए कहा, " हम भारतीय कर्मियों के संपर्क में हैं और उन्हें हर जरूरी मदद का भरोसा दिया गया है." इसमें प्रभावित क्षेत्र से बचकर बाहर आने में सफल रहे कामगारों का कहना है कि हालात उम्मीद से ज्यादा बदतर हैं. इराक के स्थानीय लोग भी मानते हैं कि सद्दाम हुसैन तानाशाह होने के बाद भी देश को जोड़कर रखने में सक्षम थे. मोसुल की एक तेल कंपनी में काम करने वाला एक भारतीय कर्मचारी किसी तरह अपनी जान बचाकर बगदाद पहुंच सका. उसने बताया कि वो भूलकर भी इराक वापस नहीं आना चाहेगा. उम्मीद नहीं के बराबर है कि इराक में कभी शांति स्थापित हो पाएगी. भारत के सामने दूसरा बड़ा खतरा यह भी है कि अगर आईएसआईएस के आतंकी इराक से मलीकी सरकार को हटाने में सफल होते हैं तो यह अल कायदा को सपोर्ट करने वाले ग्रुपों को और प्रेरणा देगी
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