कुछ इलाक़ों का देश के बाक़ी हिस्सों से संपर्क अब भी कटा हुआ है. बाढ़ के पानी में सड़कों के बह जाने से इन इलाक़ों में अभी तक राहत सामग्री नहीं पहुँच पाई है.
जोज़जान प्रांत के गवर्नर बोयमुरोद क़्विनली ने बीबीसी से कहा कि मिट्टी की कच्ची ईंटों से बने घरों के तबाह हो जाने की वजह से हज़ारों लोग अब भी तंबुओं में रह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अकेले उनके राज्य में ही मरने वालों की संख्या 70 तक पहुँच गई है.
बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित सार-ए-पोल और फ़ारयाब के अधिकारियों ने अपने यहाँ बाढ़ से मरने वालों की संख्या क्रमश: 31 और 43 बताई है.
बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए स्थानीय टीवी चैनलों पर दान देने के लिए ज़ोरदार अभियान चलाया जा रहा है. लोगों से अधिक से अधिक दान देने की अपील की जा रही है. स्थानीय व्यापारियों के साथ-साथ विदेशों में बसे अफ़ग़ान पीड़ितों की मदद के लिए दान दे रहे हैं.
पिछले हफ़्ते आई बाढ़ से बहुत से लोग आश्चर्य में पड़ गए थे. सैकड़ों लोगों को अपने घर की छतों पर शरण लेनी पड़ी थी. उन्हें हेलिकॉप्टरों से ही बचाया जा सका था.
जोज़जान के गवर्नर ने कहा कि उनके प्रांत को केंद्र सरकार से 10 लाख अफ़ग़ानी की सहायता मिली है. उन्हें 20 लाख अफ़ग़ानी की सहायता और देने का वायदा किया गया है.
कई इलाक़ों में तंबू, खाद्य सामग्री और पानी पहुँचाया जा रहा है. स्थानीय सांसद सईद अनवर ने बीबीसी से कहा कि सार-ए-पोल प्रांत के दो ज़िले अब भी देश के मुख्य हिस्से से कटे हुए हैं और वहाँ के लोगों को अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है.
अंतरराष्ट्रीय संस्था 'सेव द चिल्ड्रन' के अनुमान के मुताबिक़ क़रीब 40,000 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, इनमें से 25,000 बच्चे हैं.
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