बीएड सत्र 2013-14 शुरू से ही विवादित

बीएड का सत्र 2013-14 शुरू से ही विवाद में रहा है। इस सत्र में प्रवेश और परीक्षा में जमकर धांधली हुई। प्रवेश के लिए हुई काउंसलिंग में 191 कॉलेजों के 13,449 कैंडिडेट्स शामिल हुए थे, जबकि जुलाई में हुए मेन एग्जाम में 12,800 कैंडिडेट्स को मौका मिला। इसके बाद भी एजेंसी को मार्कशीट तैयार करने के लिए 20,097 कैंडिडेट्स की डिटेल दी गई। इस सत्र का काम देख रही एजेंसी शुभ्राटेक के मालिक को शक हुआ तो उन्होंने इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को दी।

वीसी ने दिए जांच के आदेश

एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. मोहम्मद मुजम्मिल ने जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में यूपी हाईकोर्ट का फैसला भी आया था। हुआ यह था, कि विवि ने बिना काउंसलिंग के प्रवेश लेने वाले छात्रों के एग्जाम में बैठने पर रोक लगा दी थी। बाद में प्राइवेट कॉलेज संचालकों ने न्यायालय की शरण ली, तो वहां से उन्हें राहत मिली और बिना काउंसलिंग प्रवेश लेने वाले छात्रों को भी एग्जाम में बैठने की अनुमति मिल गई। इस गड़बड़ की शुरुआत यहीं से हुई।

रोल नंबर जनरेट करने का मामला

इस पूरे मामले में रोल नंबर जनरेट करके मोटी कमाई की गई। जब बिना काउंसलिंग प्रवेश लेने वाले छात्रों को एग्जाम में बैठनी की अनुमति मिली, तो कॉलेज संचालकों ने  जमकर मनमानी की। न प्रवेश, न क्लास और सीधे परीक्षा देकर डिग्री देने का सपना स्टूडेंट को दिखाया गया। इस एवज में स्टूडेंट से मोटी रकम भी ली गई।

मामला यूनिवर्सिटी के संज्ञान में

मामला यूनिवर्सिटी के संज्ञान में आ चुका है। कुलपति ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं, एक कमेटी भी गठित की गई है। वहीं निजी कॉलेज संचालकों से इस मामले में जबाव भी मांगा गया है।

-प्रो. मनोज श्रीवास्तव पीआरओ, डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी

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