मोहम्मद फ़रमान अली और मोहम्मद आरिफ़ अली को अप्रैल में उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब उनके घर से एक बच्चे का सिर मिला.
फ़रमान अली और आरिफ़ अली को क़ब्र से छेड़छाड़ करने और कई दूसरे आरोपों में दोषी पाया गया है.
इससे पहले 2011 में भी इन दोनों भाइयों को नरभक्षण मामले में ही दो साल कैद की सजा सुनाई जा चुकी है.
पाकिस्तान में नरभक्षण के खिलाफ कोई कानून नहीं हैं.
ताजा मामले में नरभक्षण के दोषी इन भाइयों को पंजाब के सरगोधा में एक आतंकवाद निरोधक अदालत में सज़ा सुनाई गई है. दोनों भाई हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं.
बच्चे की क़ब्र को छेड़ने के साथ-साथ फरमान अली और आरिफ अली को आतंक फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का भी दोषी क़रार दिया गया है.
पहले भी सज़ा
इस साल 14 अप्रैल को दोनों भाइयों के घर से एक बच्चे का सिर बरामद होने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. दोनों भाइयों ने पूछताछ के दौरान बताया कि उन्होंने क़ब्र से बच्चे की लाश निकाल कर उसे पकाया था.
इसी तरह के मामले में वे साल 2011 के अप्रैल में भी गिरफ्तार हो चुके हैं. तब उन्हें दो साल की जेल हुई थी. सज़ा खत्म होने के बाद दोनों मई 2013 में कर दिए गए थे.
लेकिन पंजाब के भक्कर जिले में दरया खान शहर के निकट खवावार कलन गांव के लोगों दोनों भाइयों की रिहाई का विरोध किया था.
रिहाई के बाद दोनों भाई किसी से मिलते-जुलते नहीं थे और कम ही दिखते थे.
लेकिन इस साल अप्रैल में स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि उनके घर से सड़े हुए मांस की गंध आ रही है.
इसके बाद पुलिस ने छापा मारा तो दो साल के एक बच्चे का सिर बरामद हुआ, जिसे मौत के बाद स्थानीय क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया था.
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