नई दिल्ली (एएनआई)। शिक्षकों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 'हम निम्नलिखित शिक्षकों ने इस दिन, 20 नवंबर 2019 से जेएनयूटीए से खुद को अलग करने का फैसला किया है। हम 1 नवंबर 2019 से जेएनयूटीए के सभी प्रस्तावों / बयानों से भी खुद को अलग कर रहे हैं।' उन्होंने आरोप लगाया कि जेएनयूटीए ने 28 अक्टूबर से छात्रों के बीच उपद्रवियों के एक समूह द्वारा शिक्षकों और उनके परिवार के सदस्यों के हमले, कारावास और धमकी की निंदा करने से इनकार कर दिया है।

चुप्पी पर नाराजगी

'बयान में आगे कहा गया है कि 'जबकि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ शिक्षकों का, शिक्षकों द्वारा, और शिक्षकों के लिए एक संघ है, जेएनयूटीए के वर्तमान पदाधिकारियों और उनके करीबियों ने, '28 अक्टूबर को छात्रों के बीच से उपद्रवियों के एक समूह द्वारा शिक्षकों और उनके परिवार के सदस्यों पर हमले, धमकाने व बंधक बनाने की बेशर्मी के साथ निंदा करने से इनकार कर दिया है। जेएनयूटीए की ओर से इस षड्यंत्रपूर्ण चुप्पी से शिक्षकों पर आगे भी हिंसा और शिक्षकों को निशाना बनाए जाने को बढ़ावा देगा।'

महिला डीन से दुर्व्यवहार

बयान में दावा किया गया है कि 'रात में वार्डनों पर हमला किया गया, उनके घरों पर हमला किया गया, एक तात्कालिक आक्रामक रणनीति के रूप में उनके बच्चों को उठाया गया, उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यों ने उनमें दहशत और भय पैदा करने के लिए दुर्व्यवहार किया। महिला सहयोगी डीन 30 घंटे तक बंधक बनाकर दुर्व्यवहार व हमला किया गया।'

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छात्रों के समर्थन में जेएनयूटीए

जेएनयूटीए ने मंगलवार को छात्रों के समर्थन में परिसर के अंदर शांति मार्च निकाला, जो अन्य मांगों के साथ पूरी फीस रोलबैक की मांग कर रहे हैं। उन्होंने सोमवार के विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर कथित कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। विश्वविद्यालय द्वारा हॉस्टल के किराए की दर में वृद्धि आदि के बाद प्रदर्शन शुरू हुए थे, बाद में बढ़ोतरी को आंशिक रूप से वापस ले लिया गया।

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