कामयाबी की दास्तान
भारतीय क्रिकेट में 11 साल पूरे करने वाले धोनी ने अपना पहला वनडे 23 दिसंबर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था। अपने करियर में धोनी ने 90 टेस्ट और 270 एकदिवसीय मैच खेले हैं। जबकि बतौर कप्तान उन्होंने 186 मैच खेले जिसमें 103 जीते सिर्फ 68 हारे और चार मैच टाई रहे। इस लिहाज से उन्हें भारतीय क्रिकेट का सबसे सफल कप्तान माना जाता है।
विश्वकप से शुरू हुई नाकामयाबी की कहानी
हर मौके पर अपने दम पर कामयाबी की कहानी लिखने वाले धोनी के असफल होने की दासतन 2015 के वर्ल्ड कप से हुई जब पहले उनका बल्ला खामोश हुआ और फिर वो सेमी फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गए। ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी टीम इंडिया पर उनकी कमजोर होती पकड़ और बल्ले की नाकामयाबी दिखने लगी थी। जिसके बाद उन्होंने बीच सीरीज में टेस्ट कप्तानी छोड़ी पर वन डे में भी उनकी धार नजर नहीं आयी और एक के बाद एक बांगलादेश फिर साउथ अफ्रीका में उनको नाकामयाबी का मुंह देखना पड़ा।
आंकड़ो के आइने में
अगर आंकड़ों के हिसाब से जांचे तो पिछले 5 साल में धोनी का वनडे औसत 50 से नीचे गया (45.71), वहीं स्ट्राइक रेट भी 86.83 ही रह गया इस दौर का ये उनका सबसे कम औसत और स्ट्राइक रेट है। वो लंबे समय बाद झारखंड के लिए विजय हजारे ट्रॉफी खेलने पहुंचे पर वहां भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए। यहां धोनी ने पहले मैच में 24 गेंदो पर 9 रन, दूसरे मैच में 64 गेंदों पर 44 रन, तीसरे मैच पर 31 गेंदों में 18 रन और पांचवें मैच में 9 गेंदों में महज 1 रन बनाए। उन्होंने 18 की मामूली औसत से सिर्फ 72 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट सिर्फ 44 का रहा।
नये दौर से लिखेंगे नयी कहानी
धोनी के पिछले रिकॉर्डस और कप्तानी को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि वे आने वाले वक्त में फिर वापसी करेंगे। उनके चाहने वालों का मानना है कि सौरव गांगुली की तरह भारत के सबसे कामयाब कप्तान बने धोनी गांगुली तरह कमबैक किंग भी नेंगे। इसीलिए उम्मीद है कि 2016 में उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जा रही भारतीय टीम सफलता की विजयगाथा लिखेगी। इस सीरीज में पांच वन डे और तीन टी-20 होंगे। इसके बाद अगले साल ही आठ मार्च से 3 अप्रैल के बीच टी-20 विश्वकप भी भारत में खेला जाना है। ये भी धोनी के लिए खुद को साबित करने का बड़ा मौका होगा।inextlive from Cricket News Desk
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