1- मार्कोस इंडिया
मार्कोस इंडियन नेवी की एक स्पेशल ऑपरेशन यूनिट है। मार्कोस इंडियन नेवी के स्पेशल मरीन कमांडोज हैं। स्पेशल ऑपरेशन के लिए इंडियन नेवी के इन कमांडोज को बुलाया जाता है। मार्कोस को यूएस नेवी के स्पेशल फोर्स सील्स की तरह ट्रेंड किया गया है। मार्कोस ने कारगिल वार, ऑपरेशन लीच, ऑपरेशन स्वान जैसे खतरनाक मिशन्स को अंजाम दिया है। सील्स के बाद मार्कोस ही एक मात्र ऐसी स्पेशल फोर्स है जो पानी और जमीन पर दुश्मनो के छक्के छुड़ा सकती है। भारतीय नौसेना की इस स्पेशल यूनिट का गठन 1987 में किया गया। ये फोर्स समुद्री लुटेरों और आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए समुद्री ऑपरेशन को अंजाम दे सके। इसका मकसद कांउटर टेररिज्म , डायरेक्ट र एक्शऑन किसी जगह का खास निरीक्षण, अनकंवेंशनल वॉरफेयर, होस्टेंज रेस्यूकस , पर्सनल रिकवरी और इस तरह के खास ऑपरेशनों को पूरा करना है।
2- स्पेशल सर्विस ग्रुप, एसएसजी - पाकिस्तान
स्पेशल सर्विस ग्रुप यानी एसएसजी पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स है। 12 घंटो में 36 मील और 50 मिनट में पांच मील की दौड़ लगाना इस फोर्स के लिए आम बात है। यह ग्रुप तब सामने आया जब आर्मी हेडक्वाटर्स में 36 लोगों को आतंकवादियो ने बंधी बना लिया था। एसएसजी का इंडो-पाक वॉर के साथ सोवियत अफगान युद्ध में भी हस्तक्षेप रहा है। पैन एएम 73 फ्लाइट जब हाईजेक हुई तब एसएसजी ने रेस्क्यू मिशन कर लोगों की जान बचाई थी। एसएसजी कमांडोज की एक और बहादुरी तब सामने आई जब अफगान स्कूल की एक बस हाईजेकर्स से उन्होंने सिर्फ 20 सेकेंड में ही छुड़ा ली थी। एसएसजी को 3 आतंकवादी मारने में सिर्फ कुछ सेकेंड का ही समय लगा था।
3- नेशनल जेंडारमरी इंटरवेंशन ग्रुप, जीआईजीएन- फ्रांस
डिबूटी में रेस्क्यू मिशन कर स्कूली बच्चों को बचाना हो या बोस्निया मे वॉर क्रिमिनल्स को धूल चटानी हो यह सारा काम फ्रांस की यह फोर्स पलभर में ही कर देती है। म्यूनिख ओलंपिक गेम्स में बंधियो के मारे जाने के बाद 1972 में जीआईजीएन स्पेशल फोर्स का गठन किया गया। जीआईजीएन दुनिया की सबसे खतरनाक फोर्स में से एक मानी जाती है। सोमाली डकैतों को समंदर की गहराई में लेजाकर मारना इस फोर्स के बाएं हाथ का खेल है। जीआईजीएन का लक्ष्य अपनी परवाह किए बिना लोगों की जान बचाना है। जीआईजीएन का काम राष्ट्र के खिलाफ हर उठने वाली आवाज को खत्म करना है। जीआईजीएन की 200 स्ट्रांग यूनिट्स हैं। फ्रेंच लॉ के हिसाब से इस फोर्स की तस्वीर छापने पर भी बैन है। अगर बात जीआईजीएन के साहस की करें तो 1979 में मक्का की ग्रांड मस्जिद की जप्ती। चरमपंथी विद्रोहियों ने मक्का में मस्जिद अल हरम में पदभार संभाल लिया था तब सउद की सभा को उखाड़ फेंकने के लिए जीआईजीएन ने साऊदी फोर्स की मदद की थी। पवित्र शहर में घुसने के लिए जीआईजीएन के तीन कमांडोज ने इस्लाम कबूल करने के बाद शहर में प्रवेश किया था।
4- स्पेशल फोर्स यूएसए
यूएस की इस स्पेशल फोर्स को हरी टोपी वाली फोर्स के नाम से भी जाना जाता है। 60 के दशक में राष्ट्रपति कैनेडी द्वारा अनुरोध करने पर उनकी विशेषता सेवा टोपी की वजह से ग्रीन टोपियों के रूप में भी जाना जाता है। उनके आधिकारिक आदर्श वाक्य अत्याचार से पीड़ित आजाद कराने के लिए है। जबकि उनके प्रतीक चिन्ह एक कृपाण और तीन बिजली बोल्ट के साथ एक नोक भालू है। यूएस की इस स्पेशल फोर्स के सैनिक हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहते हैं। इस फोर्स मे स्नीफर्स की अहम भूमिका होती है जो पल भर में ही किसी को भी मार सकते हैं। यह ग्रुप सात हफ्तों तक यूएस की बेस्ट ट्रेनिंग लेता है। इस फोर्स का काम गठबंधन का समर्थन, मानवीय सहायता करना, शांति बहाल करना होता है।
5- सियेरत मेटकॉल- इजराइल
सियेरत मेटकाल इजराइल की स्पेशल फोर्स है। इसका गठन आतंकवाद का खत्मा करने के लिए किया गया था। इस फोर्स के सैनिक अपनी फिजिकल और इंटेलेक्चुअल करेक्टस्ट्रिक्स के लिए जाना जाता है। जहां इन सैनिकों का सिलेक्शन होता है उस कैंप को गिबुस कहा जाता है। इस फोर्स में आने वालों को हार्डकोर ट्रेनिंग और एक्सासइज से डॉक्टरों और साइकोलाजिस्ट की निगरानी में गुजरना पड़ता है। आतंकवादी हमलों से सुरक्षा करने में यह फोर्स माहिर है। इस फोर्स के काम करने के अंदाज की बात करें तो 2003 में एक इजराइली टेक्सी ड्राइवर इलिह्यू गुरेल को चार फिलिस्तीनियों ने उसी की कैब में किडनैप कर लिया था। फोर्स ने रामल्लाह स्थित एक फैक्ट्री के दस मीटर गहरे गढ्ढे से निकाल कर उसकी जान बचाई थी।
6- ज्वाइंट फोर्स टास्क 2- कनाडा
कनाडा की ज्वाइंट फोर्स टास्क 2 का अपना पिछले 23 सालों को इतिहास है। कुछ ही सालों मे इस ज्वाइंट फोर्स ने सैकड़ो ऑपरेशन को अंजाम दे डाला। उन्होंने बोस्निया में सर्बियाई बंदूकधारियों नीचे शिकार करने के लिए इराक में बचाव बंधकों से दुनिया के विभिन्न आकर्षण के केंद्र का एक हिस्सा रहा है। यह फोर्स अफगानिस्तान वॉर में भी मौजदू थी। इस फोर्स की ट्रेनिंग बहुत ही टफ होती है। इस फोर्स का आदर्श वाक्य है एक छुरी नहीं, एक हथौड़ा। ज्वाइंट फोर्स टास्क 2 ही उन्हें एक अनजाने छायादार आतंकवाद-विरोधी बल बना रहा है। यह विश्व स्तरीय अभिजात वर्ग दल अपने अति गोपनीय अभियान के बारे में अभी तक कुछ भी खुलासा नहीं हुआ है।
7- ब्रिटिश स्पेशल एयर सर्विस- ब्रिटेन
ब्रिटेन की ब्रिटिश स्पेशल एयरफोर्स यानी एसएएस दुनिया की पहली स्पेशल फोर्स है। यहां तक ही यूएयए की डेल्टा फोर्स का गठन भी एसएएस के गठन के कुछ वर्षो पश्चात हुआ था। एसएएस दुनिया की नंबर वन फाइटिंग फोर्स है। यह दुनिय की पहली ऑलराउंडर फोर्स है जिसे हर तरह से लड़ने की तालीम दी जाती है। इस फोर्स का आदर्श वाक्य है जो डेयरिंग दिखता है वही जीतता है। इराक वॉर में उन्होंने जबजस्त प्रदर्शन किया था। यूएस जनरल स्टेनली मेक्रिस्टल ने कहा था कि हम उनके बिना इराक की जंग नही जीत पाते। उनका योगदान महत्वपूर्ण था।
8- नेवी सील्स- यूएसए
दो मिनट में मिनिमम 42 पुशअप्स और 50 सिट अप्स के साथ 11 मिनट में 1.5 मील की दौड़ यह उनके ट्रेनिंग से पहली की शुरुआत है। नेवी सील्स यूनाइटेड स्टेट्स की बेस्ट फोर्स है। ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए सील्स कामांडोज ही चुने गए थे और उन्होंने इस मिशन को बखूबी अंजाम भी दिया। सील्स पानी आकाश और जमीन तीनों पर लड़ सकती है। नेवी सील्स की आठ टीम्स हैं। उनके पास सील टीम 6 भी है पर उसका कोई नंबर नही है। इस फोर्स को टेक्नॉलजी से लेकर बेहतरीन हथियार दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए दिए जाते हैं।
9- जीआईएस- इटली
इटली की इस फोर्स को ग्रुप ऑफ दि इंटरवेंटल स्पेशल कहा जाता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए यह सबसे बेहतरीन फोर्स मानी जाती है। इस फोर्स का गठन 1978 में इटेलियन मिलेट्री पुलिस की यूनिट से किया गया था। 100 सैनिकों की हथियार बंद टीम एंटी टेरेरिज्म ऑपरेशन सिक्योरिटी सर्विस और ट्रेनिंग प्रोवाइड करती है।
10- अल्फा ग्रुप- रसिया
रसिया की स्पेशल फोर्स का अल्फा ग्रुप के नाम से जाना जाता है। यह फोर्स बहुत ही कट्टर और दुश्मन के लिए निर्दई मानी जाती है। इस टास्क फोर्स को बाहरी शक्तियों खिलाफ लड़ने के लिए 1970 में तैयार किया गया था। यह अपने आप में बहुत ही खतरनाक फोर्स है। यह फोर्स पहली बार अफगानिस्तान में नजर आई थी। अल्फा फोर्स को अपने विरोधी के प्रति निर्दई और आक्रमक बनने के लिए जाना जाता है। इस फोर्स की ऑपरेशन करने की अपनी अलग स्ट्रेटजी होती है। इस यूनिट को स्पेट्स ग्रुप ए के नाम से भी जाना जाता है। 2002 में मास्को में बंदी बनाए गए लोगों को छुड़ाने में फोर्स का विशेष योगदान था। अल्फा ग्रुप में आतंकियो को मारने के लिए कैमिकल गैस का प्रयोग किया था जिन्होंने 129 बंदियो को मौत के घाट उतरा दिया था।
11- पुलिस ग्रोम
पुलिस ग्रोम पॉलेंड की स्पेशल फोर्स है। यह स्पेशल फोर्स एक काउंटर टेरेरिज्म यूनिट है। ग्रोम का अर्थ होता है थंडरबोल्ट जो इस फोर्स की काबीलियत बताता है। यह एक बहुत खतरनाक फोर्स है। यह ब्रिटिश स्पेशल फोर्स एसएएस की तरह है। इस फोर्स को आतंकवाद के खत्मे के लिए तैयार किया गया है। यह फोर्स समय-समय पर यूएसए की स्पेशल फोर्स सील्स के साथ भी मिशन करती है। ऐसी अफवाहें है कि इस फोर्स ने सील्स को स्पेशल ट्रेनिंग आइडिया दिए हैं। ग्रोम फोर्स में 270 से 300 सैनिक है। हर सैनिक को ग्रूलिंग सीरीज पास करनी होती है। इस फोर्स में आने के लिए फिजिकल और साइकोलॉजिकल टेस्ट और ट्रुथ टेस्ट से गुजरना पड़ता है।
Interesting News inextlive from Interesting News Desk