दसवीं सदी की है ढोलकल गणेश की मूर्ति
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले बैलाडिला के ढोलकल पर्वत शिखर पर विराजित 10 वीं सदी की गणेश प्रतिमा पुनर्निर्माण के बाद फिर मूल स्वरूप में नजर आएगी। अज्ञात लोगों ने प्रतिमा को करीब 50 फीट नीचे खाई में गिराकर क्षतिग्रस्त कर दिया था। पुरातत्वविद अरुण कुमार शर्मा के दिशा निर्देश पर केमिकल ट्रीटमेंट के साथ इसे रि-कंस्ट्रक्ट किया जा रहा है। पुनर्निर्माण के दौरान प्रतिमा के महत्वपूर्ण अंग कान नहीं मिलने से दिक्कत हो रही थी। इसे ढूंढने डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन के नेतृत्व में क्षेत्र के करीब 100 ग्रामीण और जवान मंगलवार की सुबह ही खाई में उतर गए।
100 ग्रमीण और जवानों ने ढूंढा कान
कान मिलने से उसे ऊपर लाकर जोड़ने का कार्य शुरू हुआ। बताया गया कि प्रतिमा के 90 से 95 फीसदी हिस्से मिल चुके हैं। शेष स्थान को अन्य रासायनिक पदार्थों से भरा गया है। ढोलकल गणेश की खंडित प्रतिमा को केमिकल ट्रीटमेंट के जरिए विशेषज्ञ मूल स्वरूप दे रहे हैं। बुधवार को प्रतिमा पूर्वरूप में आ गई। सोमवार तक प्रतिमा के 95 फीसदी हिस्से के टुकड़े मिल चुके थे। मंगलवार को गणेशजी का कान मिला। इसे ढूंढने डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन के नेतृत्व में करीब 100 ग्रामीण और जवान सुबह ही खाई में उतर गए थे।
मूर्ति की होगी पुर्नस्थापना
अब इस प्रतिमा की पुनस्र्थापना की जाएगी। ग्रामीण पूजा अर्चना भी करेंगे। दंतेवाड़ा कलेक्टर सौरभ कुमार के मुताबिक ढोलकल गणेश प्रतिमा का रि-कंस्ट्रक्शन लगगभ पूरा हो गया है। ग्रामीणों के रीति-रिवाज के साथ पुर्नस्थापना की जाएगी। ये ऐतिहासिक स्थल के केंद्र और राज्य के पुरातत्व विभाग में नहीं है। ऐसे में इसकी सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी ग्रामीण निभाएंगे। उनकी मांग पर टूरिस्ट गाइड और रास्ते में पेयजल व दीगर सुविधाएं प्रशासन की ओर से मुहैया करायी जायेंगी। प्रतिमा के नीचे गिरने के बाद 56 टुकड़े एकत्र कर लिए गए थे। जिसके बाद कान नहीं मिल रहा था। मंगलवार को क्षेत्र के ग्रामीणों ने खाई में उतरकर कान खोज निकाला।
Weird News inextlive from Odd News Desk