भारतीयों का स्वागत:
अमेरिकी संसद में संबोधित करते हुए सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद में बोलने का मौका मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। यहां पर हो रहा उनका स्वागत 125 करोड़ भारतीयों का स्वागत है।
अमेरिकी लोकतंत्र मिसाल:
पीएम मोदी ने इस बात का जिक्र भी किया कि अमेरिका और भारत के बीच गहरा रिश्ता बन चुका है। एक लोकतंत्र से दूसरे लोकतंत्र को ताकत मिलती है। अमेरिकी लोकतंत्र पूरी दुनिया के लिए मिसाल के रूप में है।
आर्लिंगटन से यात्रा की:
पीएम का कहना था कि दो दिन पहले उन्होंने आर्लिंगटन से यात्रा शुरू की। यहां पर आज़ादी और अधिकार के लिए जान गवानें वाले अमेरिकी सैनिकों की कब्रे हैं। अमेरिका की तरह ही भारतीय सैनिकों ने भी अपनी जान की बाजी लगाई।
पांचवे भारतीय पीएम:
पीएम मोदी के भाषण को सुनकर वहां पर यूएस कांग्रेस में बार-बार तालियों की गड़गड़हाट गूंज रही थी। इसके अलावा अमेरिकी सांसद बीच-बीच में खड़े होकर उनका अभिवादन कर रहे थ्ो। अमेरिकी संसद में भाषण देने वाले नरेंद्र मोदी पांचवें भारतीय पीएम बन गए हैं।
पाकिस्तान पर निशाना:
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पड़ोसी देश पाकिस्तान पर निशाना साधा। भारत के पड़ोस में आतंकवाद का पालन-पोषण हो रहा है। ऐसे में अमेरिका और भारत में गठजोड़ एशिया से अफ्रीका और हिन्द महासागर से प्रशांत महासागर तक शांति समृद्धि का वाहक हो सकता है।
मुंबई हमले के दौरान:
पीएम ने इस बात का जिक्र भी किया कि यूएस कांग्रेस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। 2008 में मुंबई हमले के दौरान अमेरिका भारत के साथ खड़ा था। वहीं आज अफगानिस्तान में अमेरिका की भूमिका सराहनीय है।
30 लाख भारतीय अमेरिकी:
आज भारत और अमेरिका के बीच विज्ञान, तकनीक और समझौते में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में इनके बीच रक्षा सौदा शून्य से 10 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। डॉ. अम्बेडकर ने यहीं से ज्ञान हासिल लिया है। उन्होंने अमेरिकी संविधान का गहराई से अध्ययन किया।
नार्मन बार्लाक ग्रीन रिवोल्यूशन:
आज अमेरिका में करीब 3 करोड़ लोग योग करते हैं और भविष्य में उम्मीद है कि यह संख्या और ज्यादा बढ़ जाएगी। वहीं अमेरिका नार्मन बार्लाक ग्रीन रिवोल्यूशन और खाद्य सुरक्षा को मेरे देश में लेकर आए। आज 30 लाख भारतीय अमेरिकी है।
अटल बिहारी का जिक्र:
इसके पहले भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। वहीं ओबामा ने दोहराई है कि दोनों देशों के बीच की यह साझेदारी 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी है।
2022 डिजिटल इंडिया:
आजादी के 75वें साल यानी कि 2022 तक एक नया डिजिटल इंडिया होगा। इसके लिए कृषि क्षेत्र को मज़बूत, सभी घरों में बिजली पहुंचानी होगी, लाखों युवाओं को कौशल से रोजगार और 21सेंचुरी रेल और रोड बनाना होगा।
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