1. शून्य का आविष्कार :
अंकों के मामले में विश्व भारत का ऋणी है। भारत ने अंकों के अलावा शून्य की खोज की। शून्य कहने को तो शून्य है, परंतु शून्य का ही चमत्कार है कि यह एक से दस, दस से हजार, हजार से लाख, करोड़ कुछ भी बना सकता है। शून्य की विशेषता है कि इसे किसी संख्या से गुणा करो अथवा भाग दो, फल शून्य ही रहेगा। शून्य की लंबाई, चौड़ाई या गहराई नहीं होती। सन् 498 में भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता आर्यभट्ट ने कहा 'स्थानं स्थानं दसा गुणम्' अर्थात् दस गुना करने के लिये (उसके) आगे (शून्य) रखो। और शायद यही संख्या के दशमलव सिद्धांत का उद्गम रहा होगा। आर्यभट्ट द्वारा रचित गणितीय खगोलशास्त्र ग्रंथ 'आर्यभट्टीय' के संख्या प्रणाली में शून्य तथा उसके लिये विशिष्ट संकेत सम्मिलित था (इसी कारण से उन्हें संख्याओं को शब्दों में प्रदर्शित करने के अवसर मिला)।
2. भारत ने सिखाया इस्पात बनाना :
इस्पात का आविष्कार भी भारत में ही हुआ था। प्राचीन भारत में लोहा और इस्पात के शानदार उपयोग के बारे में उल्लेख है। पश्चिमी जगत को लोहे जब पता चला उससे करीब 2 हजार साल पहले से भारतीय इसका उपयोग करते आ रहे थे।
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3. कपास की खेती :
ईसा से 2 हजार साल पहले सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग सूती कपड़ों का इस्तेमाल करते थे। जी हां, उस समय इन इलाकों में कपास की खेती होती थी और बकायदा सूती कपड़ों का निर्माण होता था। हम गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया को भारतीयों ने कपड़ा पहनाना सिखाया था। सिकंदर जब भारत आया था, तो वह यहां के लोगों को कपड़े पहने देख काफी हैरान था। ऐसे में सिकंदर ने ही यूनानियों को कपड़े के बारे में बताया, तब जाकर धीरे-धीरे दुनिया ने सीखा।
4. रेडियो, वायरलेस कम्युनिकेशन :
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मारकोनी को वायरलेस टेलीग्राफी की खोज में उनके योगदान के लिए वर्ष 1909 में भौतिकी के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन इससे करीब 14 साल पहले भारतीय वैज्ञानिक सर जगदीश चन्द्र बोस ने वर्ष 1895 में ही इसका आविष्कार कर लिया था। इस घटना के दो साल बाद मार्कोनी ने लंदन में इस खोज का प्रदर्शन किया था।
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5. फ्लश टॉयलेट :
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन पहली बार फ्लश टॉयलेट का इस्तेमाल भारत में हुआ था। पहली बार इस तरह के टॉयलेट का इस्तेमाल 5000 साल पहले सिन्धु घाटी की सभ्यता के लोगों ने किया था। मोहनजोदड़ो दरअसल एक पूरी तरह से विकसित नगर था, जहां निकासी व्यवस्था अतुलनीय थी। इस सभ्यता के लोग हाइड्रोलिक इन्जीनियरिंग में माहिर थे।
6. प्लास्टिक सर्जरी :
जी हां, प्लास्टिक सर्जरी पहली बार भारत में की गई थी। वह भी, ईसा से करीब 2 हजार साल पहले। भारत में सर्जरी करने का श्रेय सुश्रुत को जाता है। सुश्रुत ने जिस तरह के सर्जिकल औजार तैयार किए थे। उसी डिजाइन के औजार आधुनिक मेडिकल साइंस में भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
7. चांद पर पानी :
चंद्रमा पर पानी ढूंढने का श्रेय भारत को ही जाता है। इसरो के चन्द्रयान 1 ने ही पहली बार पता लगाया था कि चान्द सिर्फ एक टीला भर नहीं, बल्कि यहां पानी भी उपलब्ध है।
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8. शैम्पू :
शैम्पू शब्द दरअसल, चम्पू शब्द का अपभ्रन्श है। सिर में तेल लगाकर मालिश की परम्परा बंगाल में 17वीं सदी में शुरू हुई थी। बाद के दिनों में शैम्पू के तौर पर इस परम्परा का विकास हुआ था।
9. बटन :
बिना बटन के कपड़ों की परिकल्पना नहीं की जा सकती। पहली बार बटन का उपयोग सिन्धु घाटी की सभ्यता के नगर मोहनजोदड़ो के लोगों ने किया था। यह बात ईसा से करीब 2 हजार साल पहले की है।
10. शतरंज :
भारत में शतरंज का इतिहास बहुत पुराना है। इस खेल को चतुरंग के रूप में जाना जाता रहा है। इसका आविष्कार 6ठी सदी में गुप्त राजवंश के दौरान किया गया था। उस दौरान यह राजाओं, महाराजाओं का खेल हुआ करता था। बाद में यह जन-साधारण के खेल के रूप में लोकप्रिय हुआ।
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