1- 20वीं शताब्दी के महान शिक्षाविद और दार्शनिक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1921 से 1932 के बीच मे किंग जॉर्ज फिफ्थ चेयर ऑफ मेंटल एंड मोरल साइंस कलकत्ता यूनिवर्सिटी मे शैक्षणिक कार्य किया। ईस्टर्न रिलीजन एंड इथिक्स के प्रोफेसर के तौर पर उन्होने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मे 1936 से 1952 के बीच कार्य किया।
2- डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारतीय दर्शन को विश्व के नक्शे मे जगह दी। उन्होंने साफ कहा कि कैसे पश्चिमी दार्शनिकों ने व्यापक संस्कृति से धार्मिक प्रभावों के प्रति पक्षपाहै।तपूर्ण व्यवहार किया थे। उन्होंने यह भी दावा किया है कि भारतीय दर्शन योग्यता के आधार पर पश्चिमी दुनिया में शब्द दर्शन है।
3- वह अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय भेजा रहा था , जब उनके एक छात्र ने व्यवस्था की और रेलवे स्टेशन पर एक फूलों से सजी गाड़ी उनके लिए भेजी।
4- वह एक कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले विनम्र परिवार से आते थे । उन्होंने कहा कि मै तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सीमा पर बसे एक छोटे से गांव से आया था। एक मंदिर में पुजारी बनने के लिए अपने पिता की कामना को लेकर आया था। उन्होंने दर्शन से एमए की पढाई की। उनकी पहली किताब भारतीय दर्शन साहित्यिक कृति थी।
5- उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन ने राज्यसभा सत्र की अध्यक्षता की। जब भी वहाँ व्यथित सदस्य आते थे तो वह उन्होंने संस्कृत या बाइबल से दर्शकों को शांत करने के लिए शुरू किया।
6- बर्ट्रेंड रसेल दुनिया के महान दार्शनिकों में से एक हैं। भारत के नव नियुक्त अध्यक्ष के रूप में उन्होंने डॉ राधाकृष्णन का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह एक सम्मान की बात है कि डॉ राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति हैं। प्लेटो दार्शनिकों के लिए आकांक्षी राजाओं बनने के लिए है। यह भारत के लिए एक श्रद्धांजलि है।
7- अपने शैक्षणिक कैरियर के दौरान उन्होंने कई पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि 1931 में एक नाइट स्नातक नियुक्त किया गया था। 1938 में ब्रिटिश अकादमी के फेलो चुने गए थे। 954 में प्रतिष्ठित भारत रत्न से उन्हें सम्मानित किया गया । 1961 में जर्मन बुक ट्रेड शांति पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया।
8- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने मृत्यु के कुछ ही महीनों पहले 1975 में टेंपलटन पुरस्कार प्राप्त किया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के लिए इस पुरस्कार की पूरी राशि उन्होंने दान में दे दी थी।
9- डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णा को 1946 मे यूनस्को का अम्बेस्डर नियुक्त किया गया। 1949 मे उन्हे सोवियत संघ का अम्बेस्डर नियुक्त किया गया। उन्होने भारत की शिक्षा प्रणाली के सुधारों के बारे मे बताया।
10- 1962 मे जब वो भारत के राष्ट्रपति के रूप मे चुने गए तो उनके कुछ शिष्यों ने उनका जन्म दिन मनाने के लिए कहा। इस पर उन्होंने जबाव दिया मेरे जन्म दिन के स्थान पर यह दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाए। जिसके बाद से हर साल पांच सितंबर को डा. सर्वपल्ली राधा कृष्ण्ान का जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाता है।Interesting News inextlive from Interesting News Desk
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