1. इंदिरा गांधी की प्रतिभा बचपन से ही दिखने लगी थी। पांच साल की इंदिरा ने स्वदेशी आंदोलन से प्रभावित होकर अपनी सबसे पसंदीदा विदेशी गुड़िया जला दी थी। यह गुड़िया इंग्लैंड में बनी थी।
2. इंदिरा गांधी ने अपने जिंदगी का सबसे कठिन फैसला 25 साल की उम्र में लिया। कांग्रेस और परिवार के विरोध से बावजूद फिरोज गांधी से शादी की।
3. इंदिरा ने जब राजनीति में प्रवेश किया तो वो हमेशा चुप रहती थीं। जिसके कारण विपक्ष उन्हें 'गूंगी गुड़िया' कहकर पुकारने लगा। लेकिन 1971 में पाकिस्तान के विभाजन के बाद नेताओं की उनके बारे में छवि बदल गई और उन्हें 'दुर्गा' कहा जाने लगा। यही दुर्गा एटमी परीक्षण के बाद 'आयरन लेडी' कहलाने लगीं।
4. इंदिरा गांधी को अंधेरे से बहुत डर लगता था। अपने इस डर के बारे में एक बार खुद कहा था कि “मुझे अंधेरे से डर लगता है, रात को बेडरूम तक जाने में डरती हूं। लेकिन मैंने निश्चय किया है इससे जल्द छुटकारा पाना है।”
5. काफी कम लोगों को पता है कि इंदिरा गांधी जवाहर लाल नेहरू की इकलौती संतान नहीं थीं। दिसंबर 1924 में उनकी मां कमला नेहरू ने एक बेटे को भी जन्म दिया था, लेकिन जन्म के कुछ महीने तक ही वह जीवित रहा।
6. इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए। उन्होंने 1969 में 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। उस समय के वित्तमंत्री मोरारजी देसाई ने भी इंदिरा के इस कदम का विरोध किया था। हालांकि बाद में वे मान गए थे।
7. इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के बाद बैंकों की 40 प्रतिशत पूंजी को प्राइमरी सेक्टर जैसे कृषि और मध्यम छोटे उधोगों में निवेश के लिए रखा। देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बैंक शाखाएं खोली गई। साल 1969 में 8261 शाखाएं थीं वहीं 2000 तक 65,521 शाखाएं हो गई।
8. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान की जनता ने सिविल वॉर शुरू कर दिया। पाक से परेशान 10 लाख रिफ्यूजी भारत आ गए थे। लेकिन भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद पाक सेना ने सरेंडर किया और बांग्लादेश अलग देश बना।
9. 25 जून, 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। इसके बाद अगले 21 महीनों तक देश भर में आपातकाल लागू रहा। विपक्ष के सभी बड़े नेताओं को रातों-रात जेल में डाल दिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया। इन सबका असर ये हुआ कि 1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी की क़रारी हार हुई। आपातकाल को भारतीय इतिहास का काला अध्याय माना जाता है।
10. सिख चरमपंथी नेता जरनेल सिंह भिंडरावाला के समर्थकों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना लिया था। इंदिरा गांधी की सरकार ने सेना को स्वर्ण मंदिर पर हमला करने का निर्देश दिया। एक जून, 1984 से आठ जून, 1984 तक चले इस अभियान में सैकड़ों लोग मारे गए।
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